अंतत: फंसे मजदूर सकुशल वापस आए
उत्तरकाशी के सिलकयारा टनल में जहां अचानक से 41 मजदूर जो वहां काम कर रहे थे टनल में फंस गए, पल भर में ही उनकी जिंदगी ने यू
उत्तरकाशी के सिलकयारा टनल में जहां अचानक से 41 मजदूर जो वहां काम कर रहे थे टनल में फंस गए, पल भर में ही उनकी जिंदगी ने यू
सुबह की सैर की बात ही निराली है। क्या गांव, क्या कस्बा, क्या शहर की गलियां कुछ भी अछूता नहीं है। अहले सुबह आपको इनकी
सभी महापर्व छठ की तैयारी में जुटे हुए हैं। कल खरना था और आज शाम का अर्घ्य है। दीपों का त्योहार दीपावली संपन्न होने के
इस रविवारीय में हम बातें करते हैं बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ धाम मंदिर की जिसकी पहचान और प्रसिद्धि स्थानीय स्तर पर तो बहुत ज्यादा है पर, बाहर
आइए हम जानने की कोशिश करते हैं उन अंतर्निहित मायनों की जो नौकरी करने के दौरान एक अधिकारी और उनके मातहत के बीच हुए संवाद
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, पटना में मनाए जा रहे हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत क्विज़ प्रतियोगिता में बतौर बाह्य प्रेक्षक -सह निर्णायक की भूमिका अदा करते हुए।
मुंबई के सड़कों पर अब सन 1937 से अनवरत चली आ रही मुंबई की आन बान और शान और साथ ही साथ मुंबई की पहचान
आज १४ सितंबर के दिन हम सभी हिन्दी पखवाड़ा के साथ ही साथ हिन्दी दिवस मना रहे हैं। लगभग हर सरकारी महकमों में आप पाएंगे
गांवों के बाजारों से लेकर शहर के हर गली, नुक्कड़ और चौराहों पर प्रतिदिन सुबह- सुबह आसपास के गांवों और कस्बों से हाथों में एक
कुछ याद आ रहा है ? नहीं ना! दिमाग पर थोड़ा जोर डालें। बात बहुत पुरानी नहीं है। थोड़ा अपने आप को पीछे धकेल, बचपन
उत्तरकाशी के सिलकयारा टनल में जहां अचानक से 41 मजदूर जो वहां काम कर रहे थे टनल में फंस गए, पल भर में ही उनकी जिंदगी ने यू
सुबह की सैर की बात ही निराली है। क्या गांव, क्या कस्बा, क्या शहर की गलियां कुछ भी अछूता नहीं है। अहले सुबह आपको इनकी
सभी महापर्व छठ की तैयारी में जुटे हुए हैं। कल खरना था और आज शाम का अर्घ्य है। दीपों का त्योहार दीपावली संपन्न होने के
इस रविवारीय में हम बातें करते हैं बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ धाम मंदिर की जिसकी पहचान और प्रसिद्धि स्थानीय स्तर पर तो बहुत ज्यादा है पर, बाहर
आइए हम जानने की कोशिश करते हैं उन अंतर्निहित मायनों की जो नौकरी करने के दौरान एक अधिकारी और उनके मातहत के बीच हुए संवाद
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, पटना में मनाए जा रहे हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत क्विज़ प्रतियोगिता में बतौर बाह्य प्रेक्षक -सह निर्णायक की भूमिका अदा करते हुए।
मुंबई के सड़कों पर अब सन 1937 से अनवरत चली आ रही मुंबई की आन बान और शान और साथ ही साथ मुंबई की पहचान
आज १४ सितंबर के दिन हम सभी हिन्दी पखवाड़ा के साथ ही साथ हिन्दी दिवस मना रहे हैं। लगभग हर सरकारी महकमों में आप पाएंगे
गांवों के बाजारों से लेकर शहर के हर गली, नुक्कड़ और चौराहों पर प्रतिदिन सुबह- सुबह आसपास के गांवों और कस्बों से हाथों में एक
कुछ याद आ रहा है ? नहीं ना! दिमाग पर थोड़ा जोर डालें। बात बहुत पुरानी नहीं है। थोड़ा अपने आप को पीछे धकेल, बचपन
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