रूद्राक्ष का वृक्ष
अहाते में शान से खड़ा, हमारी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा, हम सबों की आस्था का प्रतीक रूद्राक्ष का वृक्ष था वो। कुछ ही क्षण पहले
अहाते में शान से खड़ा, हमारी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा, हम सबों की आस्था का प्रतीक रूद्राक्ष का वृक्ष था वो। कुछ ही क्षण पहले
लगभग सभी हिन्दी भाषी राज्यों में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को लेकर एक अलग ही क्रेज रहता है। कल भी था, आज भी
जिंदगी हर वक्त एक नया मोड़ ले लेती है। आप सिर्फ और सिर्फ भौतिक चीज़ों में उलझकर रह जाते हैं, और जब तक आप कुछ
गुज़रा हुआ ज़मानाआता नहीं दोबाराहाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा पचास के दशक में आई मधुबाला और प्रदीप कुमार अभिनीत फ़िल्म शीरीं फरहाद का यह चर्चित गीत आज फिर से
हर व्यक्ति पर एक पागलपन सा सवार है येन केन प्रकारेण मशहूर होने का। जान जोखिम में डालकर रील बनाईं जा रही हैं। आए दिन
मृदुभाषी, सौम्य, अनुशासित जीवन शैली और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी हरदिल अज़ीज़ आलोक राज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। संगीत इनकी रगों में बहता
सन 1978 में एक घटना हुई थी जिसमें नौसेना के एक अधिकारी के बेटे की हत्या कर दी गई थी और उनके बेटी को बलात्कार
कोलकाता में जो घटना घटी वो मानवता को शर्मसार करती है। सोच कर ही मन पता नहीं कैसा हो जाता है। एक अजीब सी फीलिंग
आइए आज मैं मनु की बात करता हूं। मनु, एक साधारण नौकरीपेशा व्यक्ति जो अपने सपने की दुनिया में जीता है…अपने पैशन को जीता है।
कभी सुपर बाजार में शॉप लिफ्टिंग की है? ऐसी एक क्लैपटोमैनियक का हाल का एक एक वाक्या याद आ रहा है। यह बात है जब
अहाते में शान से खड़ा, हमारी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा, हम सबों की आस्था का प्रतीक रूद्राक्ष का वृक्ष था वो। कुछ ही क्षण पहले
लगभग सभी हिन्दी भाषी राज्यों में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को लेकर एक अलग ही क्रेज रहता है। कल भी था, आज भी
जिंदगी हर वक्त एक नया मोड़ ले लेती है। आप सिर्फ और सिर्फ भौतिक चीज़ों में उलझकर रह जाते हैं, और जब तक आप कुछ
गुज़रा हुआ ज़मानाआता नहीं दोबाराहाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा पचास के दशक में आई मधुबाला और प्रदीप कुमार अभिनीत फ़िल्म शीरीं फरहाद का यह चर्चित गीत आज फिर से
हर व्यक्ति पर एक पागलपन सा सवार है येन केन प्रकारेण मशहूर होने का। जान जोखिम में डालकर रील बनाईं जा रही हैं। आए दिन
मृदुभाषी, सौम्य, अनुशासित जीवन शैली और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी हरदिल अज़ीज़ आलोक राज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। संगीत इनकी रगों में बहता
सन 1978 में एक घटना हुई थी जिसमें नौसेना के एक अधिकारी के बेटे की हत्या कर दी गई थी और उनके बेटी को बलात्कार
कोलकाता में जो घटना घटी वो मानवता को शर्मसार करती है। सोच कर ही मन पता नहीं कैसा हो जाता है। एक अजीब सी फीलिंग
आइए आज मैं मनु की बात करता हूं। मनु, एक साधारण नौकरीपेशा व्यक्ति जो अपने सपने की दुनिया में जीता है…अपने पैशन को जीता है।
कभी सुपर बाजार में शॉप लिफ्टिंग की है? ऐसी एक क्लैपटोमैनियक का हाल का एक एक वाक्या याद आ रहा है। यह बात है जब
readin.
©2022 Manu Kahin. All Rights Reserved
Powered By Wizzoi