कुछ घटनाएं बस घट जाती हैं। आपके ना चाहते हुए भी दे जाती है एक टीस जिंदगी भर के लिए। जिन्हें भुला पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है। पर, याद रखना शायद उससे कहीं ज्यादा मुश्किल।
“Why NGO Collect Clothes Of Sexual Violence Survivors?”
दैनिक अख़बार द टाइम्स ऑफ इंडिया में एक आलेख पढ़ रहा था । वैसी घटना जिसे न तो आप भूला सकते हैं और ना याद ही रख सकते हैं। कुछ ऐसी ही घटनाओं को साथ लेकर चल रही है स्वयं सेवी संस्था Black Noise जो बैंगलोर based है।
भाई मैं तो बैंगलोर ही कहूंगा । बैंगलुरू मेरी जुबां पर चढ़ती नहीं है। मुझे माफ़ करें। जस्मीन पाथेजा के कुशल नेतृत्व में साल 2004 से अस्तित्व में आई यह संस्था Sexual Violence and Gender Biased survivors की आवाज़ बन कर उभरी है। ऐसी आवाज़ जो सिसकियों में या कभी कभी तो सिसकियां भी नहीं निकलती थी।अपना दम तोड जाया करती थी। अब एक सार्थक तरीके से अपनी आवाज़ बुलंद कर रही है।
Black Noise की संस्थापक जस्मीन पाथेजा इन survivors से अपील करती हैं कि आप वो कपड़ा आप मुझे यानी कि हमारी संस्था को एक voice message के साथ भेजें जो आपने घटना के वक्त पहन रखा था। वो उन कपड़ों को अपने संग्रह में रखती हैं।अब तक ऐसे लगभग 300 कपड़े इकट्ठे हो गए हैं। उनका लक्ष्य 10,000 कपड़ों को लेकर 2023 में इंडिया गेट पर display करने का है।
Black Noise का यह एक अद्भुत प्रयास है। आप इसे एक प्रयोग भी कह सकते हैं। वैसे लोग जो अपने लोगों से पीड़ित हुए हैं। समाज में लैंगिक असमानता को झेला है या कहें झेल रहे हैं। उनकी आवाज़ बन कर यह संस्था आई है। वरना अंधेरे बंद कमरों से सिसकियों की आवाज़ कहां बाहर निकल कर आ पाती है। पीड़ित व्यक्ति घुट कर रह जाता है।
Black Noise के इस प्रयास और प्रयोग “Archive Trauma Not Make It Visible” को दिल से शुक्रिया।
मनु कहिन