पासवर्ड प्रोटेक्टेड है यह सारी व्यवस्थाएं। क्या समय आ गया है कि हम सभी पूरी तरह से तकनीक के गुलाम हो गए हैं। गुलाम शब्द हालांकि, थोड़ा अटपटा सा लग सकता है। पर, कहीं न कहीं सच्चाई है यह। लंबे समय तक हम-आप सच्चाई से नजरें नहीं चुरा सकते हैं। अब आप खुद देखें और महसूस करें। दफ़्तर पहुंचते हैं। फ़ाइल सिस्टम अब लगभग खत्म होने को है। कहां रहा अब वो दफ़्तरी जिसके जिम्मे फ़ाइलों को सहेजना था।
हालांकि, अब भी कुछ बचा हुआ है। पर यह कब तक बचा रहेगा, कह नहीं सकते।बदलाव जीवन का एक अभिन्न अंग है।हम सभी इससे वाकिफ हैं।पर, इतना ज्यादा होगा, समझ नहीं पाए।
कंप्यूटर में लोगिन कर ही कार्यालय का काम अब शुरू होता है। अब आपकी उपस्थिति बस समझिए यहीं से शुरू होती है।
अब देखिए इन सब के लिए एक अदद पासवर्ड चाहिए। अगर ग़लती से आप कहीं पासवर्ड भूल गए तो यकीन मानिए एक अजीब से जद्दोजहद से आप गुजरने वाले हैं। अब थोड़ा आगे बढिए। मोबाइल में पासवर्ड। कंप्यूटर पर कुछ महत्त्वपूर्ण काम किया हुआ है, तो फ़िर वो पासवर्ड प्रोटेक्टेड है। सरकारी दफ्तर हो या गैर सरकारी। निगम हो या निकाय। छुट्टी लेनी हो या फिर भविष्य निधि के लिए आवेदन करना हो। या फ़िर साल भर की अपनी उपलब्धियों का बखान करना हो। एच आर एम एस, पी एफ एम एस से लेकर स्पैरो तमाम तरह की व्यवस्था है। पर, फिर वही पासवर्ड की दुनिया!
आप सोशल मीडिया पर हैं। प्लेटफार्म कोई भी हो। फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, ई-मेल या फिर मैसेंजर। हर जगह वही, फिर से पासवर्ड।
आज़ के संदर्भ में आप इन चीजों से अपने आपको अलग नहीं रख सकते हैं। अपने आपको अनुरूप बनाना ही होगा। पासवर्ड की महत्ता को स्वीकार करना ही होगा। हालांकि मेरे व्यक्तिगत विचार से पासवर्ड का मतलब कुछ छुपाना हो सकता है। पर ज्योंहि हम अपने जीवन में अपने आसपास चाहे एटीएम हो क्रेडिट कार्ड हो या फिर ऑनलाइन बैंकिंग हो, बिना पासवर्ड के ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया ही बेकार है।
पर हां, मोबाइल में भूलकर भी पासवर्ड ना डालें। जरूरत के समय जब आप पर कोई मुश्किल आएगी और आप मोबाइल संचालन की स्थिति में नहीं होंगे, तो फिर कोई भी इसे संचालित नहीं कर पाएगा। तब किस काम का आपका मोबाइल और आपका पासवर्ड?
वर्तमान समय में रोजमर्रा की जिंदगी में तकनीक के बढ़ते हुए कदम, साथ ही साथ बढ़ते हुए साइबर अपराध और जालसाजी को देखते हुए जरूरत आ पड़ी है कि आप अपने किए गए कार्यों को और ख़ासकर अपने वित्तीय व्यवस्था को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित रखें। यह समय की मांग है।
अब थोड़ा खुद से आगे बढ़े। राष्ट्रहित में बातें करें। बातें वैज्ञानिक अनुसंधानों की हो या फिर सेटेलाइट लांच की हो या फिर पोखरण जैसी स्थिति की हो, राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर भी आज के संदर्भ में पासवर्ड कितनी अहमियत रखता है यह बताने की जरूरत शायद नहीं है।
हालांकि, साहब पासवर्ड की दुनिया कोई आज की दुनिया की बात नहीं है। काफी पहले से ही किसी न किसी रूप में इसका इस्तेमाल हम सभी करते आए हैं। ‘अलिबाबा और चालीस चोर’ की कहानी जिन्होंने भी पढ़ी होगी वो ‘खुल जा सिम सिम’ शब्द से जरूर वाकिफ होंगे। यह क्या था जिसे भूलने की स्थिति में कहानी में अचानक एक मोड़ आ गया था?
कोषागार की सुरक्षा में रात्रि पाली में तैनात संतरी पासवर्ड के आधार पर ही दोस्त और दुश्मन की पहचान करता रहा है। हां, यह बात जरूर है कि आज हम और आप सभी की पासवर्ड पर निर्भरता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। कुछ तो हम लोगों ने बिना जरूरत का शौक पाल रखा है। जहां जरूरत नही है, वहां भी पासवर्ड का इस्तेमाल कर लेते हैं।
वैसे आज के संदर्भ में जहां फेसलेस ट्रांजैक्शन की बात हो या फिर ऑनलाइन बैंकिंग या खरीद बिक्री का मामला हो, पासवर्ड की महत्ता और उसकी सार्थकता को नकारना बड़ा ही मुश्किल है। आपकी पूरी की पूरी जिंदगी ही वस्तुत: पासवर्ड के इर्दगिर्द घूमती है। वैसे भी हम लोग पूरी की पूरी जिंदगी एक अदद पासवर्ड की तलाश में ही रहते हैं जो हमें हमारे अंतर्मन से हमारा खुद का साक्षात्कार करवा सके।
– मनीश वर्मा ‘मनु’