
आप मुस्कुराएं कि आप लखनऊ में हैं
आप मुस्कुराएं कि आप लखनऊ में हैं ‘। लखनऊ में आपको जगह – जगह पर यह स्लोगन लिखा हुआ मिलेगा। चलिए, इस शहर को अपने
आप मुस्कुराएं कि आप लखनऊ में हैं ‘। लखनऊ में आपको जगह – जगह पर यह स्लोगन लिखा हुआ मिलेगा। चलिए, इस शहर को अपने
जब से पता चला है कि बिग बॉस ने रिव्यू मीटिंग बुलाई है, ब्लड प्रेशर का पारा अचानक धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। रिव्यू मीटिंग
भारत के प्रीमियम ट्रेनों में शुमार शताब्दी से लखनऊ से नई दिल्ली तक की यात्रा मुझे करनी थी। महीने भर पहले ही रिज़र्वेशन ले लिया
एक बात जो कई बार कही और सुनी-सुनाई गई है – आईना कभी झूठ नहीं बोलता। बात में सिर्फ सच्चाई ही नहीं दम भी है।
हमारे पड़ोस में शर्मा जी रहते हैं। शर्मा जी अभी अभी हाल में ही यहां रहने आए हैं। जयपुर से ट्रांसफर हो कर आए हैं।
चलिए आज के रविवारीय में हम बातें करते हैं आत्महत्या के बारे में। यह एक बड़ी ही ज्वलंत समस्या है जिसने समाजशास्त्रियों की नींदें उड़ा
साल 2023 की आखिरी तारीख, आखिरी दिन, सप्ताह और महीना। ऐसा लगता है मानों हम किसी किताब के पन्ने पलट रहे हैं और अब बस
अहले सुबह चाहे महानगर हो, छोटा शहर हो या फिर कोई कस्बाई इलाका, अगर किसी घर से रौशनी बाहर आ रही है, तो आप बेहिचक,
बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय – लखनऊ के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने भैरवी ठुमरी की यह पंक्तियां तब लिखीं थीं जब अंग्रेजों ने
आप एक्सप्रेसवे पर बस चले जा रहे हैं। अपने ज़िगर और गाड़ी की क्षमता के अनुसार स्पीड थोड़ी घटती बढ़ती है। वैसे भी एक्सप्रेसवे पर
आप मुस्कुराएं कि आप लखनऊ में हैं ‘। लखनऊ में आपको जगह – जगह पर यह स्लोगन लिखा हुआ मिलेगा। चलिए, इस शहर को अपने
जब से पता चला है कि बिग बॉस ने रिव्यू मीटिंग बुलाई है, ब्लड प्रेशर का पारा अचानक धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। रिव्यू मीटिंग
भारत के प्रीमियम ट्रेनों में शुमार शताब्दी से लखनऊ से नई दिल्ली तक की यात्रा मुझे करनी थी। महीने भर पहले ही रिज़र्वेशन ले लिया
एक बात जो कई बार कही और सुनी-सुनाई गई है – आईना कभी झूठ नहीं बोलता। बात में सिर्फ सच्चाई ही नहीं दम भी है।
हमारे पड़ोस में शर्मा जी रहते हैं। शर्मा जी अभी अभी हाल में ही यहां रहने आए हैं। जयपुर से ट्रांसफर हो कर आए हैं।
चलिए आज के रविवारीय में हम बातें करते हैं आत्महत्या के बारे में। यह एक बड़ी ही ज्वलंत समस्या है जिसने समाजशास्त्रियों की नींदें उड़ा
साल 2023 की आखिरी तारीख, आखिरी दिन, सप्ताह और महीना। ऐसा लगता है मानों हम किसी किताब के पन्ने पलट रहे हैं और अब बस
अहले सुबह चाहे महानगर हो, छोटा शहर हो या फिर कोई कस्बाई इलाका, अगर किसी घर से रौशनी बाहर आ रही है, तो आप बेहिचक,
बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय – लखनऊ के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने भैरवी ठुमरी की यह पंक्तियां तब लिखीं थीं जब अंग्रेजों ने
आप एक्सप्रेसवे पर बस चले जा रहे हैं। अपने ज़िगर और गाड़ी की क्षमता के अनुसार स्पीड थोड़ी घटती बढ़ती है। वैसे भी एक्सप्रेसवे पर
readin.
©2022 Manu Kahin. All Rights Reserved
Powered By Wizzoi