उफ़ ये मोबाईल!
आपने और हमने, हम सभी ने मिलकर उनकी ऊनिंदी आंखों में जहां भविष्य के सुनहरे सपने होने थे, हाथों में जहां ढेर सारे खिलौने होने
आपने और हमने, हम सभी ने मिलकर उनकी ऊनिंदी आंखों में जहां भविष्य के सुनहरे सपने होने थे, हाथों में जहां ढेर सारे खिलौने होने
20 वर्ष की आयु और साथ में 30 वर्ष का अनुभव यही तो उम्र है, जहां से ज़िंदगी की असल शुरुआत होती है । अब
हमारी मांगें पूरी करो…प्रशासन हाय हाय। हाय हाय हाय हाय। प्रशासन मुर्दाबाद, मुर्दाबाद मुर्दाबाद। (प्रशासनिक मुखिया का नाम लेकर ) मुर्दाबाद। उफ्फ ये हड़ताल! कार्यालय
यूं तो हम भारतीय सालों भर कोई ना कोई पर्व या महापर्व मनाते ही रहते हैं और हमारे देश में पर्वों का सिलसिला लगातार जारी ही
आइए लखनऊ के आस पास का सफर जारी रखते हुए आज हम आपको देवा शरीफ़ लेकर चलते हैं। यह लखनऊ से तकरीबन 25 – 26
लखनऊ के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब दर्शाने वाले परंपराओं में से एक है बड़ा मंगल। जब हम लखनऊ आए तो लोगों ने कहा यहां बड़े मंगलवार
चलिए आज़ रविवारीय चिन्तन में हम ब्रांड वैल्यू पर चिन्तन करते हैं। एक मल्टीनेशनल कंपनी है, नाम क्यों लिया जाए? यह एक जर्मन कंपनी है,
आजकल, आमतौर पर यह बात देखने को मिल रही है, मां-बाप अपने बच्चों, खासतौर पर जो बच्चे किशोरावस्था की उम्र में हैं, को लेकर काफी
अभी दो-तीन दिन के अंतराल पर ही देश के दो बड़े शैक्षणिक बोर्ड का रिजल्ट आया है। 10वीं और 12वीं के बच्चे इस शैक्षणिक बोर्ड
18 वीं सदी के अंत में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला ने न्यू क्लासिकल शैली में एक बेहद खूबसूरत दो मंज़िल की इमारत अपने और अपने
आपने और हमने, हम सभी ने मिलकर उनकी ऊनिंदी आंखों में जहां भविष्य के सुनहरे सपने होने थे, हाथों में जहां ढेर सारे खिलौने होने
20 वर्ष की आयु और साथ में 30 वर्ष का अनुभव यही तो उम्र है, जहां से ज़िंदगी की असल शुरुआत होती है । अब
हमारी मांगें पूरी करो…प्रशासन हाय हाय। हाय हाय हाय हाय। प्रशासन मुर्दाबाद, मुर्दाबाद मुर्दाबाद। (प्रशासनिक मुखिया का नाम लेकर ) मुर्दाबाद। उफ्फ ये हड़ताल! कार्यालय
यूं तो हम भारतीय सालों भर कोई ना कोई पर्व या महापर्व मनाते ही रहते हैं और हमारे देश में पर्वों का सिलसिला लगातार जारी ही
आइए लखनऊ के आस पास का सफर जारी रखते हुए आज हम आपको देवा शरीफ़ लेकर चलते हैं। यह लखनऊ से तकरीबन 25 – 26
लखनऊ के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब दर्शाने वाले परंपराओं में से एक है बड़ा मंगल। जब हम लखनऊ आए तो लोगों ने कहा यहां बड़े मंगलवार
चलिए आज़ रविवारीय चिन्तन में हम ब्रांड वैल्यू पर चिन्तन करते हैं। एक मल्टीनेशनल कंपनी है, नाम क्यों लिया जाए? यह एक जर्मन कंपनी है,
आजकल, आमतौर पर यह बात देखने को मिल रही है, मां-बाप अपने बच्चों, खासतौर पर जो बच्चे किशोरावस्था की उम्र में हैं, को लेकर काफी
अभी दो-तीन दिन के अंतराल पर ही देश के दो बड़े शैक्षणिक बोर्ड का रिजल्ट आया है। 10वीं और 12वीं के बच्चे इस शैक्षणिक बोर्ड
18 वीं सदी के अंत में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला ने न्यू क्लासिकल शैली में एक बेहद खूबसूरत दो मंज़िल की इमारत अपने और अपने
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