कभी ऊंचाई से दुनिया देखें। कितनी खूबसूरत है ये दुनिया। शहर का कोलाहल भी कहीं छुप सा जाता है। प्रदूषण भी आंखें चुराने लगता है । ऐसा लगता है मानो आप दूसरे लोक में विचरण कर रहे हैं।
एक दुनिया बादलों के बीच, शांत और बेहद खूबसूरत। काश ! ज़िंदगी भी इतनी ही खूबसूरत और हसीन होती। चीजें पूर्व से तय नहीं होती। ज़िंदगी खूबसूरत और हसीन इसलिए भी है क्योंकि वहां पहले से चीजें तय नहीं होती। सब कुछ अप्रत्याशित होता है
अगर सभी चीजें आपके मनमुताबिक होने लगे, जो सिर्फ और सिर्फ मन का भ्रम है। तो सृष्टि इधर से उधर हो जाएगी। पर, हम सभी इसी मुगालते में जीते हैं। कुछ तय नहीं होता है श्रीमान।सब चीजें अपने मुताबिक चलतीं हैं।
भ्रम में ना रहें। जैसे ही आत्मा ने शरीर छोड़ा, अब शरीर, शरीर न होकर मृत शरीर हो। जल्द से जल्द घर से बाहर निकालने की तैयारी शुरू हो जाती है। शरीर तो मिट्टी का था। उसे वहीं मिल जाना है। पर, हम कहां समझ पाते हैं। आत्मा है तो हम हैं। वरना नहीं हैं। हे पार्थ आत्मा को न मरने दें।
काश! कोई हमें समझा पाता!
मनीश वर्मा ‘मनु’