महिला पुलिसकर्मियों की तादाद में बिहार अव्वल ! हाथों में राइफल और बूटों की धमक से लिखी नई इबारत!
सुबह नींद खुलते ही आदतन जब अख़बार का पन्ना पलटा तो कुछ इस तरह की खबरें सुर्खियों में थी। प्रशिक्षण पुरा करने के उपरांत बिहार पुलिस में कुल 1582 नए दरोगा शामिल हुए। इनमें से महिलाओं की संख्या 596 है। इतनी सारी महिलाएं एक साथ पुलिस फोर्स में बतौर एक अधिकारी, आनेवाले समय में पुलिसिया व्यवहार में आमूलचूल बदलाव का संकेत अगर कहें तो कोई अतिशयोक्ति नही होनी चाहिए। लगभग सभी सामान्य घर की महिलाएं जो आज पासिंग आउट परेड के बाद बिहार पुलिस में बतौर पुलिस अधिकारी अपनी सार्थक भूमिका निभाने के लिए आतुर।
बहुत उम्मीद है इन कंधों पर। इन्हें उन उम्मीदों के बोझ तले अपनी भूमिका निभानी है। हाथों में चुड़ी की जगह सेल्फ लोडिंग राइफल और पांवों में पायल की बजाय बूटों की धमक। एक नई पहचान के साथ बिहार के राजगीर पुलिस अकादमी से निकली हुई ये महिला अधिकारी समाज में ख़ासकर प्रशासन में अपनी भूमिका से एक नई इबारत लिखने को तत्पर।
आपसे बहुत उम्मीदें हैं बिहार को, यहां के आम आदमी को।आपने जो जज़्बा , जो जाबांजी प्रशिक्षण के दौरान दिखाया , आप उन्हें फ़ील्ड में रहकर साबित करें।
हम सभी की शुभकामनाएं आपके साथ है। आप बिहार पुलिस का वो चेहरा बनें जिनपर बिहार पुलिस और आम जनता को आप पर नाज़ हो।आप नज़ीर बने आने वाले कल के लिए। इतिहास गवाह है, बिहार ने हमेशा से लोगों को रास्ता दिखाया है। हम आपसे यही उम्मीद रखते हैं। आज़ आम आदमी थाना नही जाना पसंद करता है कुछ कतिपय कारणों से।
आप एक वो माहौल बनाएं कि लोगों को महसूस हो थाना और पुलिस वाकई आम आदमी की सुरक्षा और सेवा के लिए तत्पर है न कि एक दंभ रहें कि हम तो पुलिस वाले हैं। आप लोगों के दोस्त बनकर काम करें। अपने आप को समाज के साथ जोड़कर पुलिसिंग करें। पुलिसिंग आसान हो जाएगी। अब तक जो क्षेत्र निर्विवाद रूप से पुरूषों का था उनमें आपका आना वाकई गर्व और खुशी का पल है।
एक इतिहास लिखा जा रहा है। आप उसके केन्द्र में हैं। आपके साथ साथ हम सभी के कंधे का सवाल है। किसी भी हाल में झुकना नहीं चाहिए।
जय हिन्द।
मनु कहिन