रविवारीय: ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है!
ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है!मुर्दा – दिल ख़ाक जिया करते हैं!! जी हां ! जनाब, इमाम बख़्श नासिख़ साहब ने क्या खूब कहा है! सरहदों और सीमाओं से परे ज़िंदगी जीने की कोशिश करें। भला, जीवन की मौजे कहां सरहदें और सीमाएं मानती हैं। जीवन प्रकृति की अनुपम देन है। इसे खुलकर जिएं। बताइए भला […]